वो स्वस्तिक चौक की शाम, वो पंकजका जाम...
वो पांझराका किनारा, वो गणपतिपूलसे नझारा...
वो पढ़ायीका बहाना, वो किशोरदाका गाना...
वो ललकार की पिव्वर, वो गरुड़ लायब्ररी के चक्कर...
वो कौमर्सकी लड़कियां, वो गर्बेकी झलकियाँ...
वो होलिकी मस्ती, वो जुनेधुलेकी बस्ती...
वो आगरा रोड्की वॉकिंग, वो पाँचकंदिलकी शौपिंग...
वो भजनशेठका खाना, वो छतपे दिल निचोड़ना...
वो भैयाकी पानीपूरी, वो एसटी स्टैंडपे रात गुजारी...
वो मेलेमे मिली लडकी, वो हमेशाकी कडकी...
वो धुलियांकी बातें, वो MH18 की वारदातें...
भुलाये नहीं भूलते वो बेखुदिके दिन और बेहकिहूईं रातें...
यादोंको दिलमें बसाये रखना धूलियासे रिश्ता बनाये रखना...
- अमुक भारतीय (पूर्वीचे धुळेकर)
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