मंगळवार, ३१ मे, २०११

शायरी...!?!



निलाम कर दिया रिश्ते नातोंको तो हमने जिन्दगी पाई...


आंधी तूफाँमें ठुकरा दी जिन्दगी तो हमने खुदी पाई...!


दांवपें लगा दिया खुदिको तो हमने बेखुदी पायी...


सिर-आंखोपर किया बेखुदी को तो हमने शायरी पाई...!

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